Joshimath sinking उत्तराखंड के जोशीमठ में भूधंसाव का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी का गठन करने की मांग की गई है।
नई दिल्ली, एएनआई। दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें जोशीमठ, उत्तराखंड के प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के पुनर्वास के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक हाई पावर ज्वाइंट कमेटी का गठन करने और सभी मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को इसे तुरंत देखने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता रोहित डंडरियाल, जो पेशे से वकील हैं, ने कहा कि पिछले वर्षों में उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में की गई निर्माण गतिविधि ने वर्तमान परिदृश्य में एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया है। इन गतिविधियों से जोशीमठ के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
दलील में आगे कहा गया है कि भारत संघ के लिए उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के लोगों की दुर्दशा का संज्ञान लेना और नागरिकों को एक सम्मानित और सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने पर ध्यान देना उचित है। दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा आने वाले सप्ताह में याचिका पर सुनवाई होने की संभावना है।बता दें, उत्तराखंड के जोशीमठ में पिछले कुछ दिनों से लोगों के घरों में दरारें पैदा हो गई हैं, जिससे उनमें भय का माहौल है। लोग इसे लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। उन्होंने मामले में कार्रवाई की मांग की है। जोशीमठ चमोली की शांति पहाड़ियों पर 6 हजार फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। वर्ष 2021 से लोगों के घरों में दरारें पैदा होनी शुरू हो गई थी, जिससे लोग चिंतित और भयभीत हो गए।
याचिका में कहा गया है कि चमोली में भूस्खलन के बाद 2021 में दरारों की पहली रिपोर्ट के बाद से, 570 से अधिक घरों में क्षति या दरारें बनी हुई हैं, क्योंकि लोगों ने बाद के वर्षों में बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए।
जोशीमठ को ज्योतिर्मठ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक शहर और एक नगरपालिका बोर्ड है। यह 6150 फीट (1875 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। जोशीमठ कई हिमालय पर्वत चढ़ाई अभियानों, ट्रेकिंग ट्रेल्स और बद्रीनाथ जैसे तीर्थस्थलों का प्रवेश द्वार है। यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख पीठों में से एक है। 7 फरवरी 2021 से यह क्षेत्र 2021 उत्तराखंड बाढ़ और उसके बाद से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।