बांदनवाड़ा कस्बे में 52 मकानों को तोड़ने के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक

 


Rajasthan High Court ban on order to demolish houses in Ajmer Bandanwada

Ajmer News हाईकोर्ट को बताया गया कि गलत तथ्यों के आधार पर बांदनवाड़ा कस्बे में मकानों को तोड़ने के आदेश प्रशासन ने जारी किए हैं। दोनों वकीलों के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह ने तोडफोड़ की कार्रवाई पर रोक लगा दी।

अजमेर, ऑनलाइन डेस्क। Rajasthan High Court Bandanwada Matter: राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ के न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह ने अजमेर के अतिरिक्त कलेक्टर कैलाश शर्मा और बांदनवाड़ा क्षेत्र के तहसीलदार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें बांदनवाड़ा के मसूदा रोड स्थित 52 मकानों और दुकानों को तोड़ने पर अमल किया जाना था। इस मामले में 5 जनवरी को एडवोकेट महेंद्र शांडिल्य और मनोज आहूजा ने पीड़ितों की ओर से पैरवी की थी। न्यायालय को बताया गया कि गलत तथ्यों के आधार पर मकानों को तोड़ने के आदेश प्रशासन ने जारी किए हैं। दोनों वकीलों के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह ने तोडफोड़ की कार्रवाई पर रोक लगा दी।वार्ड पंच के रवैये की निंदा

एडवोकेट आहूजा ने बताया कि वार्ड पंच नीतू शर्मा की द्वेषतापूर्ण शिकायत पर पीडब्ल्यूडी ने बांदनवाड़ा के मसूदा रोड पर 52 मकानों और दुकानों को अतिक्रमण माना था। पीडब्ल्यूडी की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही तहसीलदार ने 52 मकानों तो तोड़ने के नोटिस जारी किए। उच्च न्यायालय की नजीर देकर वार्ड पंच नीतू शर्मा ने एक शिकायत जिला कलेक्टर को भी की। इस शिकायत के आधार पर ही अतिरिक्त कलेक्टर कैलाश शर्मा ने जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर बांदनवाड़ा के तहसीलदार को पुलिस फोर्स उपलब्ध करवाने का आग्रह किया ताकि संबंधित मकानों और दुकानों को ध्वस्त किया जा सके। हालांकि प्रशासन की इस कार्रवाई से बांदनवाड़ा कस्बे में आक्रोश देखा गया। क्षेत्रीय लोगों ने वार्ड पंच नीतू शर्मा के रवैये की भी निंदा की।

प्रशासन को राहत

उच्च न्यायालय द्वारा तोडफोड़ की कार्रवाई पर रोक लगाए जाने से जिला प्रशासन ने भी राहत महसूस की है। तोडफोड़ की आशंका से बांदनवाड़ा में तनावपूर्ण स्थिति हो गई थी, प्रशासन नहीं चाहता था कि इन दिनों बड़ी संख्या में मकानों और दुकानों को तोड़ा जाए। क्योंकि हाल ही में अजमेर शहर के वैशाली नगर क्षेत्र में भगवान देवनारायण के मंदिर की बाहरी दीवार को तोड़ने पर प्रशासन को गुर्जर समुदाय के आंदोलन का सामना करना पड़ा था।

गुर्जर समुदाय ने किया आंदोलन

बांदनवाड़ा की तरह इस दीवार को भी पीडब्ल्यूडी ने अतिक्रमण माना था। बाद में कलेक्टर के आदेश पर ही तहसीलदार ने मंदिर की बाहरी दीवार को हटाने की कार्रवाई की थी, लेकिन जब गुर्जर समुदाय ने आंदोलन किया तो प्रशासन को मजबूरी में मंदिर की बाहरी दीवार को दोबारा से बनवाना पड़ा। हो सकता है कि जो स्थिति अजमेर के वैशाली नगर में उत्पन्न हुई वैसी ही स्थिति बांदनवाड़ा में भी उत्पन्न होती। हाईकोर्ट की रोक के बाद अब प्रशासन को बांदनवाड़ा में फिलहाल अतिक्रमण हटाने की कोई कार्रवाई नहीं करनी है।