फुलवारीशरीफ (पटना), नकी इमाम। शौहर-बीवियों के बीच ‘तलाक’ के बाद अब ‘खुला’ मांगने के मामले बढ़ गए हैं। यानी पत्नी दारुल कजा में आकर काजी के सामने अपने शौहर से अलगाव मांगने का साहस कर रही हैं। इसकी बड़ी वजह मोबाइल बना है। ये उच्च मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के हालात हैं, क्योंकि निम्न आर्थिक वर्ग को इतना मालूम ही नहीं कि उनके लिए इस्लाम के शरिया कानून के मुताबिक न्याय करने के लिए फुलवारीशरीफ में बड़ा मरकज इमारते शरिया है, जो चार राज्यों बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की धर्म आधारित सर्वोच्च अदालत है।पटना की मेयर सीता साहू और डिप्टी मेयर बनी रश्मि, मुजफ्फरपुर में भी दोनों पद पर मकाजी साहब के पास ऐसी अर्जियों की संख्या बढ़ी है। वे कहते हैं, ये मोबाइल भी बड़ी बेगैरत और नामाकूल चीज है, इसका गलत इस्तेमाल शौहर-बीवी के भरोसे के रिश्ते में खटास पैदा कर रहा है। हर माह चार राज्यों से शौहर-बीवी के बीच अलगाव के छह से सात सौ मामले आ रहे हैं, इनमें सर्वाधिक 70 फीसद ‘खुला’ मांगने की गुहार होती हैं। प्रमाण के साथ वजहें भी ऐसी बताई जाती हैं, जो इस्लाम में कुफ्र यानी हराम है। नतीजतन, काजी को अधिकांश मामलों में सुलह के रास्ते बंद नजर आते हैं और ‘खुला’ की इजाजत देनी पड़ जाती है।
इमारते शरिया का दारुल कजा कोई आंकड़ा जारी नहीं करता, परंतु अनुमान के आधार पर बताया जा रहा कि बिहार से ज्यादा पश्चिम बंगाल से उच्च वर्ग में अलगाव चाहने के मामले ज्यादा आ रहे हैं। काजी मौलाना वसी साहब कहते हैं, मूलतः इमारते शरिया के दारुल कजा में निकाह का निबंधन और अन्य दुनियावी मसलों पर शरीयत के मुताबिक फतवे जारी किए जाते हैं, परंतु इस धर्म अदालत को दिनोंदिन टूटते, बिखरते रिश्तों का गवाह बनना पड़ रहा है।
अलगाव का बड़ा कारण मोबाइल हैं। इनमें 40 प्रतिशत मामले मोबाइल से छुपकर गैरों से बातचीत, वायस रिकार्डिंग, चैटिंग, वीडियो शूट और फोटोग्राफ के कारण उपजे विवाद, प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग के आ रहे हैं। खुला मांगने में 15 प्रतिशत मामले शौहर के नशे की लत और पुरुषत्व का अभाव हैं। वहीं 10 प्रतिशत मामले बेगमों की आनलाइन खरीदारी और तफरीह पर रोक टोक की वजह से हैं। ‘खुला’ मांगने के ज्यादातर मामले निकाह के 40 दिन से लेकर एक साल के भीतर के हैं।
जाने क्या होता है ‘खुला’
इस्लाम में शौहर व बीवी के बीच रिश्ते बदतर होने पर तलाक व खुला मांगने का अधिकार है। वजह कुछ भी हो सकती है, इसे किसी दायरे में नहीं बांधा गया है। तलाक शौहर अपनी बीवी को देता है, इसके बाद भी वह जवाबदेही से मुक्त नहीं होता, उसे मेहर की रकम अदा करनी पड़ती है, वहीं परवरिश के लिए हर माह खर्च भी देना होता है। ‘खुला’ बीवी अपने शौहर से अलगाव के लिए मांगती है। इसमें वह शौहर को मेहर और शौहर पर तय हक यानी परवरिश व सम्पत्ति में हिस्सा देने से आजाद कर देती है।
केस हिस्ट्री 1 बक्सर की रहने वाली एक नवविवाहिता ने कहा कि उसे पति से खुला चाहिए। जब काजी ने पूछा कि कारण क्या है? अभी आपके निकाह के 40 दिन ही हुए हैं। तब उसने बताया कि उसका पति ड्रग्स का सेवन करते हुए नामर्द हो गया है। फैसला बीवी के हक में हुआ, क्योंकि इस्लाम में नशा गुनाह है।
केस हिस्ट्री 2 पश्चिम बंगाल का एक शौहर अपनी नवविवाहिता बीवी के व्हाट्सएप चैट की फाइल लेकर दारुल कजा पहुंचा। उसने बताया कि देखिए मेरे रहते हुए इसके दूसरे पुरुष से शारीरिक संबंध है, इस बात का सबूत यह चैट है। अंततः फैसला पति के हक में हुआ, उसे तलाक की इजाजत मिल गई।
केस हिस्ट्री 3 आसनसोल की एक नवविवाहिता का आरोप था कि शौहर ने ही मोबाइल से उसका संबंध बनाते वीडियो बना लिया। अब इंटरनेट मीडिया पर वीडियो वायरल करने की धमकी देकर मायके से रुपये लाने को कहता है, मुझे ऐसे शौहर के साथ नहीं रहना, ‘खुला’ चाहिए। इजाजत दे दी गई।
केस हिस्ट्री 4 एक प्रेम विवाह के मामले में भी ऐसा ही दिखा। बीवी अपने शौहर के मोबाइल का काल डिटेल लेकर दारुल कजा पहुंची। कहा, जो एक ही नंबर पर घंटों बातचीत है, वह शौहर का अवैध संबंध है। मुझे ऐसे दगाबाज संग नहीं रहना, किसी दूसरे के साथ शौहर को बांट नहीं सकती। प्रमाण में सचाई थी, काजी को ‘खुला’ की इजाजत देनी पड़ गई।