24 दिसंबर 1999 को आतंकियों
आतंकियों ने मांगी फिरौती
भारतीय प्लेन को दुबई भी ले जाया गया था और यहां आतंकियों ने 27 यात्रियों को उतार दिया था, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे। इस बीच आतंकियों रूपिन कात्याल नाम के एक यात्री की हत्या भी कर दी थी। हाईजैक से भारत सरकार की मुश्किलें बढ़ रही थीं। पूरी दुनिया की नजर इस घटना पर थी। यात्रियों के परिजन और कुछ संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच अपरहरणकर्ताओं ने अपने 36 आतंकी साथियों की रिहाई और 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर की फिरौती की मांगी।
आतंकियों के साथ बतचीत
भारत सरकार ने आतंकियों के साथ बातचीत शुरू की थी। हाइजैक विमान में भारतीय यात्रियों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस और इटली जैसे अन्य देशों के नागरिक भी उसमें सवार थे। हालात ऐसे बने कि, तत्कालीन एनडीए सरकार को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चत करने के लिए तीन आतंकियों को कंधार ले जाकर रिहा करने का फैसला लेना पड़ा था।
रिहा किए गए तीन आतंकी
जब ये घटना हुई थी उस समय अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे और जसवंत सिंह विदेश मंत्री। भारत की जेलों में बंद मौलाना मसूद अजहर, अहमद जरगर और शेख अहमद उमर सईद को बाहर निकाला गया। विदेश मंत्री जसवंत सिंह विशेष विमान से इन तीनों आतंकियों को अपने साथ लेकर कंधार पहुंचे थे। इन तीनों को कंधार में ही रिहा गया था। 31 दिसंबर को सरकार और । अपहरणकर्ताओं के बीच समझौते के बाद सभी 155 बंधकों को रिहा कर दिया गया था जिसके बाद यात्री भारत पहुंचे थे।