वन अधिकारी ने कहा कि संभव है कि बाघ लगभग 150 किमी दूर दारंग जिले के ओरंग नेशनल पार्क से भटककर पीनी पीते समय ब्रह्मपुत्र की तेज धारा में बह गया हो। पशु चिकित्सकों सहित एक बचाव दल नावों में चट्टानों के पास पहुंचा।
गुवाहाटी, पीटीआई। गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के मयूर द्वीप पर उमानंद मंदिर के भक्तों और पुजारियों ने मंगलवार सुबह जब मंदिर के पास बाघ को देखा तो उन्होंने लाइफ आफ पाई फिल्म की कहानी के रोमांच को असल जिंदगी में महसूस किया होगा। जिस तरह फिल्म लाइफ आफ पाई में मुश्किलों को सामना कर लाइफ बोट में एक लड़के अब्दुल पाई पटेल के साथ बाघ रिचर्ड एक द्वीप पर पहुंचता है और उसकी जान बचती है उसी तरह एक बाघ ने ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदी में फंसने के बाद मयूर द्वीप पर पहुंचा और मयूर द्वीप की चट्टानों के बीच शरण ले रखी थी। वन अधिकारी ने कहा कि संभव है कि बाघ लगभग 150 किमी दूर दारंग जिले के ओरंग नेशनल पार्क से भटककर पीनी पीते समय ब्रह्मपुत्र की तेज धारा में बह गया हो।
मयूर द्वीप में पहाड़ी के ऊपर उमानंद मंदिर स्थित है। मंदिर पहुंचे भक्तों और पुजारियों ने जब बाघ को देखा तो उन्होंने वन विभाग को जानकारी दी। पशु चिकित्सकों सहित एक बचाव दल नावों में चट्टानों के पास पहुंचा। अधिकारी ने कहा कि वन विभाग को बचाव अभियान में दस घंटे से अधिक का समय लगा। बचाव दल को बहुत सावधानी से अभियान चलाना पड़ा। पुजारियों सहित अन्य भक्तों और पर्यटकों को एनडीआरएफ के जवानों ने सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। वनकर्मियों को बाघ को काबू करने में काफी परेशानी हुई।
बाघ के नदी में डूबने का खतरा था, क्योंकि बाघ नदी के किनारे चट्टानों के बीच था यह भी डर था कि बाघ बचाव दल के सदस्यों पर हमला कर सके।