पिछले कुछ दिनों के दौरान कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाएं एकाएक बढ़ गई हैं। वैसे तो आतंकवाद की समस्या यहां बहुत लंबे समय से है परंतु बीते कुछ वर्षो के दौरान प्रभावी उपायों को अमल में लाने के बाद से इन पर काफी हद तक अंकुश लगता हुआ दिखा है।
बीते कुछ समय से कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा एजेंसियों को टारगेट किलिंग जैसी घटनाओं में शामिल आतंकियों और उनसे जुड़े ओवर ग्राउंड वर्कर्स के खिलाफ सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए। यह भी निर्णय लिया गया कि कश्मीर में रह रहे हिंदू वहीं रहेंगे और उनके लिए सुरक्षा का इंतजाम किया जाएगा।
वैसे राज्य प्रशासन अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहा है कि ऐसी घटनाओं को रोका जाए। पुलिस विभाग का कहना है कि इन आतंकी घटनाओं में शामिल आतंकवादियों की जल्द पहचान करते हुए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दरअसल आतंकवाद के प्रति जीरो टालरेंस की नीति तो रखनी होगी, लेकिन जहां तक कानून व्यवस्था पर आम लोगों के भरोसे और उनके सुरक्षाबोध का सवाल है तो इसका कारगर और दूरगामी उपाय है कानून का पालन। आतंक उन्मूलन के उपाय जारी रखने के साथ ही लोकतंत्र और सद्भाव बहाली की कोशिशें ही कश्मीर को उस दलदल से बचा सकती हैं, जिसमें ले जाने की साजिश आतंकी संगठन रच रहे हैं।
हाल ही में कश्मीर के कुलगाम जिले में बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या के बाद घाटी से कश्मीरी हिंदुओं के पलायन की आशंका बढ़ गई है। इससे पहले आतंकवादियों ने कुलगाम में एक शिक्षिका रजनी बाला की हत्या कर दी थी। उनका परिवार 1990 में घाटी से पलायन के बाद जम्मू में रह रहा था। कुछ वर्ष पहले उन्हें केंद्र सरकार के एक विशेष पैकेज के तहत कुलगाम में नौकरी मिली थी। आतंकियों ने उन्हें स्कूल में गोली मारी। इस घटना से कुछ ही दिनों पहले बड़गाम में तहसील कर्मचारी राहुल भट्ट की हत्या की गई थी।
आतंकी हिंदुओं में दहशत फैलाने के लिए ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। हिंदुओं की टारगेट किलिंग का यह सिलसिला पिछले कुछ समय से तेज हुआ है, जिससे डर पैदा होना स्वाभाविक है। हिंदुओं की हो रही हत्या के बाद घाटी में नौकरी कर रहे हिंदू कर्मचारी जम्मू आ गए हैं, यह यहां की सरकार के लिए चिंता का विषय है। सरकार जिस तरह से कश्मीरी हिंदुओं को घाटी में फिर से बसाने की कोशिश कर रही थी, यह उस कोशिश को रोकने का प्रयास है। टारगेट किलिंग से यहां रह रहे हिंदुओं में भी डर की भावना पैदा हा रही है और यहां रह रहे कश्मीरी पंडित भी पलायन करने के लिए विवश हो रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन भले ही हिंदुओं को आश्वासन दे रहा हो, लेकिन इसका खास असर इसलिए नहीं पड़ने वाला, क्योंकि उन्हें चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। इससे उनके भीतर डर पैदा हो रहा है। यह सही है कि हिंदुओं को निशाना बना रहे आतंकियों को खोज कर मारा जा रहा है, पर समझना चाहिए कि यदि आतंकी इसी तरह हिंदुओं को मारते रहे तो फिर उनके लिए वहां रहना मुश्किल हो जाएगा।
आतंकवादी खास तौर पर कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं, ताकि कश्मीर के बाहर यह संदेश जाए कि सरकार इस उत्पीड़ित समूह के लोगों को भी सुरक्षा नहीं दे पा रही है। कारण चाहे जो भी हो, पर इन हत्याओं की वजह से जम्मू-कश्मीर और खासकर घाटी के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे कश्मीरी पंडित खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाने के बाद से घाटी के सुरक्षा परिदृश्य में व्यापक बदलाव आया है। आतंकी संगठनों की फंडिंग से लेकर सीमा पार से होने वाली घुसपैठ पर काफी कमी आई है। सुरक्षा बलों ने कई कुख्यात आतंकियों को मारा है। सरकार ने आतंक को पोषित करने वाले स्थानीय नेटवर्क की कमर तोड़ दी है। पिछले कुछ वर्षो से स्थानीय लोगों ने आतंकियों के फरमान मानना बंद कर दिया है। लेकिन जिस तरह से फिर से आतंकी घटनाएं सामने आ रही हैं, यह हम सब के लिए चिंता का विषय है।
इन सब बातों से पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं को यहां पर अमन चैन पसंद नहीं आ रहा है और अब वह टारगेट किलिंग करके यहां दहशत का माहौल पैदा करना चाहते हैं, ताकि यहां रह रहे लोग आतंकवादियों से डर जाएं और वह यहां से पलायन करने पर मजबूर हो जाएं। यह सब आतंकवादियों की हताशा को दर्शाता है। वे बौखलाहट में आकर कभी निहत्थे पुलिसकर्मी की हत्या करते हैं, तो कभी यहां काम कर रहे हिंदुओं को गोलियां चलाकर मार डालते हैं। आतंकियों की बौखलाहट इस बात को लेकर भी है कि दहशतगर्दी के बावजूद कश्मीर में सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
आगामी 30 जून से अमरनाथ यात्र शुरू हो रही है। इस यात्र में भी आतंकी व्यवधान डालने की कोशिश करेंगे। अमरनाथ यात्र को लेकर सुरक्षा प्रबंध पुख्ता किया जा रहा है। इस बार ड्रोन प्रणाली के इस्तेमाल से लेकर आधार शिविरों तक हेलीकाप्टर सेवा और बैटरी कार की सुविधा के साथ स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार करके जम्मू-कश्मीर प्रशासन और श्री अमरनाथ जी श्रइन बोर्ड इस यात्र को विशेष बनाना चाहते हैं। इससे अमरनाथ यात्र में ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु आन के लिए प्रेरित होंगे और आतंकियों के मंसूबों को नाकाम करेंगे।
संबंधित अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि ताजा घटनाक्रम के बावजूद अमरनाथ यात्रा अपने तय समय से शुरू होगी। उसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा और सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। अमरनाथ यात्र में लगे सुरक्षा बल जानते हैं कि हर वर्ष अमरनाथ यात्र से पहले आतंकी हमले तेज हो जाते हैं। ऐसा करके आतंकी संगठन कश्मीर के बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को भयभीत करना चाहते हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से की जा रही तैयारियों से साफ है कि इस बार रिकार्ड संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। - अडनी