हरियाणा सरकार ने आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर का अपना फैसला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सही ठहराया है। एक छात्र ने सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। मामले में अब हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जवाब देने को कहा है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार की क्रीमीलेयर को लेकर जारी 17 नवंबर 2021 की अधिसूचना को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सरकार ने हलफनामा दायर कर अपनी अधिसूचना को सही ठहराया है। कोर्ट ने सरकार के हलफनामे पर याची को जवाब दायर करने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई एक सितंबर तक स्थगित कर दी।
इस मामले में एक छात्र ने हाई कोर्ट में दायर अर्जी में बताया कि हरियाणा सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर पिछड़ा वर्ग आरक्षण में निहित क्रीमिलेयर की सीमा को केंद्र सरकार द्वारा तय सीमा आठ लाख रुपये वार्षिक से भी घटाकर छह लाख रुपये वार्षिक कर दिया है। इसमें कर्मचारी के वेतन, किसान और व्यापारी की आय को भी जोड़ दिया गया है।में प्रवेश) का लाभ नहीं मिल रहा।
याची ने इससे पहले भी हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर इसे चुनौती दी थी जिस पर कोर्ट ने उसकी याचिका का निपटारा करते हुए सरकार को उसकी मांग पर विचार करने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने उसकी मांग पर कोई विचार नहीं किया और अब से प्रवेश में बीसी का लाभ नहीं मिल रहा।
हरियाणा सरकार ने 17 नवंबर 2021 जारी अपनी अधिसूचना में क्रीमिलेयर लेयर को परिभाषित किया था। इसके तहत उनको आरक्षण सुविधा का लाभ नहीं दिया जिन परिवारों की सभी स्रोतों से छह लाख रुपये और लगातार तीन साल की अवधि के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक की संपदा है।