सरकारी स्कूलों में किंडरगार्टन बंद कराने को लेकर AIADMK का राज्य सरकार पर हमला, जानें क्या कहा

 


सरकारी स्कूलों में किंडरगार्टन बंद कराने को लेकर AIADMK का राज्य सरकार पर हमला, जानें क्या कहा

गरीब वर्ग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में न डालकर सरकारी स्कूलों में डाल सकें। उन्होंने बताया कि प्राइवेट स्कूल में अधिक फीस भरनी पड़ती है। उनके अनुसार DMK सरकार का यह कदम गरीबों पर अतिरिक्त बोझ डालेगा क्योंकि इन्हें अपने बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूल में करना पड़ेगा।

 चेन्नई, आइएएनएस। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और AIADMK कोआर्डिनेटर ओ पन्नीरसेल्वम ने बुधवार को DMK सरकार की निंदा की। दअरसल सरकारी स्कूलों में किंडरगार्टन क्लासेज को बंद करने का फैसला लिया गया है। पन्नीरसेल्वम ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के प्रति बच्चों की रुचि जगाने को लेकर AIADMK सरकार ने लोअर और अपर किंडरगार्टन क्लासेज की शुरुआत की थी।

गरीब वर्ग के लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में न डालकर सरकारी स्कूलों में डाल सकें। उन्होंने बताया कि प्राइवेट स्कूल में अधिक फीस भरनी पड़ती है। उनके अनुसार DMK सरकार का यह कदम गरीबों पर अतिरिक्त बोझ डालेगा क्योंकि इन्हें अपने बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूल में करना पड़ेगा। इसके लिए उन्हें अब अधिक फीस भरनी होगी। AIADMK नेता ने इसे सामाजिक न्याय के विरुद्ध बताया और कहा कि ऐसा लग रहा कि DMK इसे द्रविड माडल को लागू करने वाले हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया ताकि सरकारी स्कूलों में स्थिति बहाल हो सके। पन्नीरसेल्वम ने DMK पार्टी पर प्रशासन का द्रविड़ माडल पेश करने की बात कही है।

उल्लेखनीय है कि पिछले माह के अंत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमिलनाडु में पूरी हो चुकी कई परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया और कई नई योजनाओं की आधारशिला रखी थी। इस दौरान ही मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने अपने संबोधन में राज्य के लिए निधि में वृद्धि की मांग की और बताया कि तमिलनाडु का विकास अद्वितीय है क्योंकि यह न केवल आर्थिक मानकों पर बल्कि समावेशी विकास के द्रविड़ माडल पर आधारित है। स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु का विकास पथ अद्वितीय है क्योंकि यह न केवल आर्थिक विकास के बारे में है, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता से प्रेरित समग्र समावेशी विकास के बारे में है, जो द्रविड़ माडल है।

सहकारी संघवाद पर जोर देते हुए, स्टालिन ने मांग की कि केंद्र सरकार तमिलनाडु में परियोजनाओं के लिए निधि बढ़ाए।