World Blood Donor Day अनमोल जिंदगी को बचाने के लिए जिस रक्त की दरकार होती है उसके स्टोरेज के लिए देश में पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। कोरोना महामारी के दौरान तो यह बात हर किसी के समझ में आ गई।
हैदराबाद, आइएएनएस। कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) के दौरान भारत समेत दुनिया भर में होने वाली मुश्किलें सामने आईं। इन मुश्किलों में से एक रक्त की किल्लत थी जिसका लोगों को सामना करना पड़ा। हालांकि लोगों की ओर से रक्त दान किया जा रहा था। तभी यह बात सबके सामने आई कि अनमोल जिंदगी को बचाने के लिए जिस रक्त की दरकार होती है उसके स्टोरेज के लिए देश में पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। कोरोना महामारी के दौरान मौतों का आंकड़ा इसलिए भी बढ़ा क्योंकि समय पर खून नहीं मिल सका। इस क्रम में स्वास्थ्य पेशेवरों ने इस बात पर जोर दिया कि देश में ब्लड स्टोरेज के लिए पुख्ता इंतजाम किया जाए।
14 जून को दुनिया भर में 'विश्व रक्त दान दिवस ' के तौर पर मनाया जाता है। विश्व रक्त दान दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य पेशेवरों की ओर से जरूरतों का जिक्र किया गया साथ ही उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर में संशोधन की मांग की। इनका कहना था कि देश भर में ब्लड बैंक के नेटवर्क को मजबूत होना चाहिए। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, भारत को हर साल 15 मिलियन यूनिट खून की जरूरत होती है लेकिन केवल 11 मिलियन यूनिट ही एकत्र हो पाता है। जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार खून की कमी यानि जरूरत के अनुसार खून मिल पाने से भारत में हर दिन करीब 12,000 लोगों की मौत हो जाती है। ये तो सिक्के का एक पहलू हुआ दूसरा भारत में 6.5 लाख यूनिट हर साल बर्बाद हो जाता है वह भी इसलिए क्योंकि यहां इसके स्टोरेज के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं।
कुछ ब्लड ग्रुप ऐसे हैं जिसका इंतजाम काफी मुश्किल से हो पाता है जैसे AB negative, A negative, B negative, AB positive और Bombay blood group। बाम्बे ब्लड ग्रुप के बारे में बता दें कि यह रेयर ब्लड ग्रुप होता है जो काफी मुश्किल से मिलता है।