अगली सदी में ग्लोबल तापमान में 1.5 डिग्री की वृद्धि हो जाएगी। मौजूदा ग्लोबल तापमान में बढ़ोतरी 1.1 डिग्री की है। ग्लोबल तापमान में 0.4 डिग्री का इजाफा होते ही लू अधिक दिनों तक गर्मी सर्दियों का मौसम छोटा होना जैसी स्थितियां बढ़ती जाएंगी।
नई दिल्लीAnuradha Aggarwal । जलवायु परिवर्तन एवं चरम मौसमी घटनाओं से निपटने के लिए अब दिल्ली का अपना 'पुख्ता' क्लाइमेट एक्शन प्लान होगा। अगले 10 वर्ष के लिए यह प्लान लगभग तैयार हो चुका है। 30 अप्रैल तक इसका फाइनल ड्राफ्ट मंजूरी के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज दिया जाएगा। इसके बाद एक से डेढ़ माह में यह जारी और लागू हो जाएगा। यह प्लान अत्यधिक गर्मी, सर्दी और बारिश के प्रकोप से दिल्ली वासियों को बचाने के लिए हर विभाग की भूमिका और उसकी जिम्मेदारी तय करेगा।
बाढ़, भूकंप, सूखा, अत्यधिक बारिश, वायु प्रदूषण, बादल फटना, ग्लेशियर पिघलना इत्यादि आपदाएं अक्सर देश के विभिन्न हिस्सों में हो रही हैं। इनसे बचाव के लिए आपदा प्रबंधन के साथ-साथ विभिन्न परियोजनाओं को लेकर कुछ नीतिगत परिवर्तन भी जरूरी हो गए हैं। इसे ध्यान में रख कर दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग ने एक प्लान बनाया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय भी इसके लिए 20 लाख रुपये का फंड दे रहा है। पर्यावरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जर्मनी की एक विशेषज्ञ टीम के सहयोग से पिछले एक दशक के दौरान की दिल्ली में चरम मौसमी घटनाओं का आकलन किया गया।
दिल्ली सरकार में विशेष पर्यावरण सचिव डा. के. एस. जयचंद्रन ने बताया कि क्लाइमेट एक्शन प्लान चरम मौसमी घटनाओं के प्रभाव को ध्यान में रख कर इनका असर कम करने और उसके अनुरूप खुद को ढालने की प्रवृत्ति (मिटिगेशन और एडोप्टेशन) के आधार पर बना है। मसलन, गर्मियों और सर्दियों में कितने तापमान पर कौन कौन से विभाग उठाएंगे क्या क्या कदम और जनता के लिए जारी की जाएगी क्या एडवाइजरी।
2010 में भी बना था एक प्लान
दिल्ली का एक क्लाइमेट एक्शन प्लान 2010 में भी बना था, लेकिन वह कभी फाइलों से ही बाहर नहीं आया। उसकी अवधि भी 2020 में खत्म हो गई। ऐसे में नया प्लान दिल्ली का दूसरा क्लाइमेट एक्शन प्लान होगा और पहले से कहीं ज्यादा व्यावहारिक व कारगर होगा।
इन पांच क्षेत्रों पर होगा सर्वाधिक फोकस
- परिवहन सेवाएं एवं वायु प्रदूषण
- एनर्जी एवं ग्रीन बिल्डिंग
- अर्बन प्लानिंग, ग्रीन कवर, बायोडायवर्सिटी
- कचरा प्रबंधन
- जल प्रबंधन
आइपीसीसी की रिपोर्ट ने भी चेताया
इंटर गवर्नमेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज (आइपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार अगली सदी में ग्लोबल तापमान में 1.5 डिग्री की वृद्धि हो जाएगी। मौजूदा ग्लोबल तापमान में बढ़ोतरी 1.1 डिग्री की है। यह 1850-1900 से काफी अधिक है। ऐसे में ग्लोबल तापमान में 0.4 डिग्री का इजाफा होते ही लू, अधिक दिनों तक गर्मी, सर्दियों का मौसम छोटा होना जैसी स्थितियां बढ़ती जाएंगी।
डेढ़ दशक के दौरान दिल्ली की मौसमी चाल
स्टेट एक्शन प्लान आन क्लाइमेट चेंज नोट के अनुसार दिल्ली में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में तेजी से वृद्धि हो रही है। दिसंबर 2006 में राजधानी का न्यूनतम तापमान 0.2 डिग्री तक पहुंचा था। यह 1935 से अब तक का सबसे कम है। जून 2007 में अधिकतम तापमान 44.9 डिग्री तक पहुंचा था। यह अब तक का सर्वाधिक है। 2044 तक दिल्ली का सालाना न्यूनतम तापमान पांच प्रतिशत तक बढ़ सकता है। 1944 अब तक सबसे गर्म और 1935 सबसे ठंडा वर्ष रहा है। 2021 में सबसे अधिक बारिश दर्ज हुई है।