मुंबई में NIA की अदालत ने ISIS से जुड़े दो आरोपियों को ठहराया दोषी, कल तय होगी दोनों की सजा

 

मुंबई में NIA की अदालत ने ISIS से जुड़े दो आरोपियों को ठहराया दोषी

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को दो लोगों को आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने के तहत दोषी करार दिया है। एनआईए अदालत ने दोनों आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के आरोपों के तहत में दोषी ठहराया है

मुंबई, पीटीआइ। मुंबई में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को दो लोगों की दोषी याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें आतंकी संगठन में शामिल होने के तहत दोषी करार दिया है। दरअसल इन दोनों लोगों ने अपने आवेदन में 2015 में आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने का अपराध स्वीकार किया था। अदालत ने दोनों आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के आरोपों के तहत में दोषी ठहराया है।

सात जनवरी को होगी अखिरी सुनवाई

एनआईए के विशेष न्यायाधीश ए टी वानखेड़े ने बुधवार को कहा कि दोनों आरोपियों की सजा तय करने के लिए सात जनवरी को अदालत की अगली सुनवाई होगी। आपको बता दें कि दोनों आरोपियों मोहसिन सैय्यद उम्र 32 साल और रिजवान अहमद उम्र 25 साल ने पिछले महीने मामले में अपना दोष स्वीकार करने के लिए विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने बुधवार यानि 5 जनवरी को दोनों आरोपियों को आरोपों और दोषी साबित होने पर दी जाने वाली सजा के बारे में दोनों को जानकारी दी।

यूएपीए और आईपीसी की विभिन्न धाराएं लगाई गई

यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत दोनों को कम से कम तीन साल की सजा और अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है। आरोपियों ने अदालत को बताया कि उन्हें पहले से इस सजा के बारे में जानकारी थी। इसके बावजूद दोनों ने अपनी इच्छा से अपना अपराध स्वीकार करने की मांग की। इसके बाद अदालत ने दोनों की दलीलों को स्वीकार करते हुए यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत आरोपियों को दोषी ठहराया।

एक प्रचार वीडियो से प्रभावित हुए थे आरोपी

अभियोजन पक्ष के अनुसार मुंबई के उपनगरीय मालवानी में चार लोगों ने आईएसआईएस में शामिल होने के लिए कथित तौर पर अपना घर छोड़ा था। एनआईए ने दावा किया कि सैय्यद और अहमद ने मालवानी के कमजोर मुस्लिम पुरुषों को उकसाया, धमकाया और प्रभावित किया। इसके साथ ही कमजोर मुस्लिम पुरुषों को आतंकी संगठन में शामिल होने और फिदायीन बनने के लिए भी मजबूर किया। 2016 से जेल में बंद दोनों आरोपियों ने पिछले महीने दायर अपने आवेदन में दावा किया कि वे खुद एक प्रचार वीडियो से आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए प्रभावित हुए थे, लेकिन अब उन्हें अपनी गलती का एहसास है और पछतावा भी हो रहा है।