सरकार द्वारा संसद में दी गई जानकारी के अनुसार भारतीय जेलों में बांग्लादेश के 2513 कैदी बंद है। वहीं पाकिस्तान से अलग-अलग क्राइम में शामिल 203 कैदी सलाखों के पीछे है। नाइजीरिया से 811 कैदी तो नेपाल से 745 कैदी बंद हैं। कारागार में चीन के 19 कैदी हैं।
नई दिल्ली। भारत की जेलों में दुनिया भर के देशों से अलग-अलग अपराधों में लिप्त 5150 विदेशी कैदी बंद हैं। जेल में सबसे अधिक विदेशी कैदी बांग्लादेश और नाइजीरिया से हैं। जेलों में चीन, उत्तरी अमेरिका के देश, दक्षिण अमेरिका के देश, दक्षिण एशियाई देश, अफ्रीका और पाकिस्तान से भी विभिन्न अपराधों में संलिप्त कैदी है। हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजसेवी संजय कुमार कहते हैं कि भारतीय जेलों में विदेशी कैदी अलग-अलग अपराधों में बंद हैं। नाइजीरिया के कैदियों में ड्रग्स और झगड़े में संलिप्तता के मामले अधिकांशत: अधिक मिलते हैं, तो म्यांमार और बांग्लादेश में तस्करी और ड्रग्स एक बड़ा कारण है। भारतीय न्याय व्यवस्था में सभी के पास खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए समान अवसर होते हैं। यही इसकी खूबसूरती है।
सरकार द्वारा संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, भारतीय जेलों में बांग्लादेश के 2513 कैदी बंद है। वहीं, पाकिस्तान से अलग-अलग क्राइम में शामिल 203 कैदी सलाखों के पीछे है। नाइजीरिया से 811 कैदी तो नेपाल से 745 कैदी बंद हैं। कारागार में चीन के 19 कैदी हैं। श्रीलंका के 65 कैदी सलाखों के साये में हैं। मध्य पूर्व के देशों से 36 कैदी भारतीय जेलों में हैं, तो उत्तरी अमेरिका के देश, दक्षिण अमेरिका के देश, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से क्रमश : 8, 30 और 15 कैदी भारतीय जेलों में अपने अपराधों की सजा काट रहे हैं। अफ्रीकी देशों (नाइजीरिया के कैदियों से अलग) के 150 कैदी भारतीय जेलों में सजायफ्ता हैं। म्यांमार के 301 कैदी भारतीय जेलों में अपने जुर्म के लिए बंद हैं। अन्य देशों के 232 कैदी जेलों में बंद हैं।
दुनिया भर की जेलों में इतने भारतीय कैदी बंद
दुनिया भर की विभिन्न जेलों में कुल 7,139 भारतीय कैदी बंद हैं। 31 दिसंबर, 2020 तक की जानकारी के अनुसार, सऊदी अरब में सबसे अधिक 1,599 भारतीय कैदी हैं। संयुक्त अरब अमीरात में 898 और नेपाल में 886 कैदी बंद हैं। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने संसद में कहा था कि कई देशों में प्रचलित मजबूत गोपनीयता कानूनों के कारण स्थानीय अधिकारी कैदियों पर जानकारी साझा नहीं करते हैं, जब तक कि व्यक्ति इस तरह के विवरण के भेद खोलने की सहमति नहीं देता है। उन्होंने कहा था कि यहां तक कि जानकारी साझा करने वाले देश भी आमतौर पर कैद किए गए विदेशी नागरिकों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं देते हैं। मुरलीधरन ने कहा था कि विदेशों में भारतीय मिशन स्थानीय कानूनों के कथित उल्लंघन के लिए जेलों में बंद भारतीय नागरिकों की घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखते हैं।
भारतीय जेलों में क्षमता से अधिक कैदी
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के हालिया आंकड़ों के अनुसार, 2019 में देश की जेलों में कुल 4.78 लाख कैदी थे, जबकि इन जेलों की वास्तविक क्षमता 4.03 लाख कैदियों की ही थी। दूसरी ओर, जेलों में मौजूद स्टाफ की संख्या भी काफी कम है। स्टाफ के लिए स्वीकृत संख्या 87,599 है, जबकि 31 दिसंबर 2019 तक इनकी वास्तविक संख्या 60,787 ही थी। 31 दिसंबर, 2019 की स्थिति के मुताबिक संसद में पेश आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली की जेलों की क्षमता 10026 है, जबकि यहां 17534 कैदी बंद हैं। महाराष्ट्र की जेल में कैदियों के लिए क्षमता 24095 है जबकि जेलों में 36798 कैदी सलाखों के पीछे हैं। उत्तर प्रदेश में 60340 कैदियों की कैपिसिटी है, जबकि जेलों में 101297 कैदी बंद हैं।ईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजसेवी संजय कुमार कहते हैं कि यह एक बड़ी समस्या है कि जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं। बड़ी बात यह है कि इनमें से कई कैदी ऐसे हैं जिनके मामले विचाराधीन होते हैं। कई न्याय पाने की लंबी प्रक्रिया में भी फंस जाते हैं। बीते कुछ समय में इन चीजों पर ध्यान तो दिया गया है, लेकिन इस पर अधिक पुख्ता तरीके से काम किए जाने की आवश्यकता है।