एर्नाकुलम जिला निवासी फ्रांसिस ने कहा कि अफगानिस्तान पहुंचने के बाद उसका दामाद युद्ध में मारा गया और उसकी बेटी तथा नातिन को कई अन्य महिलाओं के साथ 15 नवंबर 2019 को अफगान बलों के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह केरल के एक व्यक्ति के उस आवेदन पर फैसला करे, जिसमें अफगानिस्तान की पुल-ए-चरखी जेल में बंद उसकी बेटी और नाबालिग नातिन को भारत प्रत्यर्पित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह वीजे सेबैस्टियन फ्रांसिस के आवेदन पर आठ सप्ताह के भीतर फैसला करे।एर्नाकुलम जिला निवासी फ्रांसिस ने अपनी याचिका में कहा है कि एनआइए ने उसकी बेटी के खिलाफ अवैध गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) और अन्य अपराधों के तहत भारत में मामला दर्ज किया है।
उसने कहा, आरोप है कि उसके दामाद ने उसकी बेटी और अन्य आरोपितों के साथ मिलकर एशियाई देशों के खिलाफ युद्ध छेड़ने की खातिर आतंकी संगठन आइएस का प्रचार करने के लिए साजिश रची।
फ्रांसिस ने कहा कि अफगानिस्तान पहुंचने के बाद उसका दामाद युद्ध में मारा गया और उसकी बेटी तथा नातिन को कई अन्य महिलाओं के साथ 15 नवंबर, 2019 को अफगान बलों के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा था। फ्रांसिस का कहना है कि उसकी बेटी और नातिन लड़ाई में सक्रिय रूप से शामिल नहीं थीं। शीर्ष अदालत ने फ्रांसिस को अनुमति दी कि केंद्र के फैसले से असंतुष्ट होने पर वह आठ सप्ताह बाद केरल हाई कोर्ट जा सकता है।