कोविड अस्पतालों की सूची में शामिल होने पर दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय ने जताई असमर्थता, पढ़िए क्या कहा

 

दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय को स्वास्थ्य विभाग ने कोविड अस्पताल बनाने का निर्णय लिया है।

बृहस्पतिवार देर शाम कोविड अस्पतालों की सूची में स्वास्थ्य विभाग ने डाबड़ी स्थित दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय हरि नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय व द्वारका सेक्टर-9 स्थित इंदिरा गांधी अतिविशिष्ट अस्पताल को शामिल कर लिया है।

नई दिल्ली  ,surender aggarwal। बृहस्पतिवार देर शाम कोविड अस्पतालों की सूची में स्वास्थ्य विभाग ने डाबड़ी स्थित दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, हरि नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय व द्वारका सेक्टर-9 स्थित इंदिरा गांधी अतिविशिष्ट अस्पताल को शामिल कर लिया है। स्वास्थ्य विभाग की घोषणा के बाद से दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के प्रशासन में काफी असमंजस का माहौल है और यहीं कारण है कि शुक्रवार को अस्पताल प्रशासन ने ई-मेल के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग को अस्पताल में जारी स्वास्थ्य सेवाओं का ब्यौरा प्रदान करते हुए अस्पताल को कोविड अस्पताल में तब्दील करने पर असमर्थता जताई है।

यह पहली बार है जब दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय को स्वास्थ्य विभाग ने कोविड अस्पताल बनाने का निर्णय लिया है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल में टीका केंद्र, कोरोना जांच केंद्र, बच्चों का टीकाकरण, नर्सरी, प्रसूति समेत कई जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सेवाएं जारी है। विशेषकर अस्पताल में कई ऐसी महिलाएं भर्ती है, जिन्हें अभी डिस्चार्ज नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा नर्सरी में भी फिलहाल सभी बेड आरक्षित है। ऐसे में यदि अस्पताल कोविड अस्पताल में तब्दील होता है तो सभी सेवाओं को बंद करना होगा और इससे लोगों को काफी परेशानी हो सकती है।

उधर, डीडीयू अस्पताल को भी 100 बेड का कोविड अस्पताल घोषित कर दिया गया है। जिसके बाद नई इमारत में कोविड स्वास्थ्य सेवाएं शुरू कर दी गई है। फिलहाल अस्पताल में एक कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती है। हालांकि यहां ओपीडी व आपातकालीन सेवाएं भी जारी रहेगी। इसके अलावा इंदिरा गांधी अतिविशिष्ट अस्पताल में संक्रमित मरीजों के लिए 1500 बेड आरक्षित किए गए है। विशेषज्ञों के मुताबिक अभी भले ही संक्रमितों को भर्ती करने की आवश्यकता महसूस नहीं की जा रही है, पर यदि संक्रमण दर इतनी ही तेजी से बढ़ती है तो अस्पतालों का तैयार रहना जरूरी है।

सभी स्वास्थ्यकर्मियों का प्रशिक्षण अनिवार्य :

विशेषज्ञों के मुताबिक ओमिक्रोन संक्रमित मरीजों में हल्के लक्षण के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत महसूस नहीं की जा रही है। पर दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर को लेकर स्वास्थ्य विभाग काफी सतर्क है और यही कारण है कि कोविड अस्पतालों के बाद अब नान कोविड अस्पतालों में भी 100 फीसद स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की मुहिम शुरू हो चुकी है।

अधिकारियों के मुताबिक दूसरी लहर के दौरान कोविड अस्पतालों में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मचारियों के संक्रमित हो जाने के कारण स्वास्थ्य सेवाएं काफी प्रभावित हुई थी। ऐसा इस बार न हो इस बात को मद्देनजर रखते हुए सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को संक्रमण से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। विशेषकर इस बार सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को आइसीयू प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी सरकारी अस्पतालों को माड्यूल प्रदान कर दिए है और जल्द से जल्द सभी प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारियों की जानकारी देने की बात कहीं है। ताकि जरूरत पड़ने पर सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों की सेवाएं ली जा सके।

कोरोना जांच हुई अनिवार्य :

ओमिक्रोन वैरिएंट तेजी से पांव पसार रहा है। ऐसे में ओपीडी में जांच के लिए आने वाले हर मरीज के लिए कोरोना जांच को एक बार फिर अनिवार्य कर दिया गया है। क्षमता के अनुसार फिलहाल क्षेत्र के सभी सरकारी अस्पतालों में करीब 100 कोरोना जांच नियमित रूप से हो रही है। जिसमें आरटी-पीसीआर व रैपिड जांच दोनों शामिल है। इसके अलावा ओपीडी के समय को भी कम करने के आदेश जारी कर दिए गए है। डीडीयू अस्पताल में अब केवल सुबह साढ़े सात बजे से साढ़े नौ बजे तक ही ओपीडी की पर्ची बनाई जाएगी और 12 बजे तक ही चिकित्सक ओपीडी में मौजूद रहेंगे।

उधर, अस्पताल प्रशासन के मुताबिक संक्रमण दर बढ़ते ही ओपीडी में मरीजों की संख्या कम हुई है। चिकित्सक मरीजों से अपील कर रहे है कि जरूरत पड़ने पर ही अस्पताल का रुख करें। उधर, गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल, फिलहाल नान कोविड अस्पताल है।

ऐसे में यहां मरीजों का दबाव बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है, इसलिए ओपीडी पर्ची के काउंटर की संख्या को बढ़ाकर अब पांच कर दिया गया है और एक समय में केवल काउंटर पर दस ही मरीज पर्ची बनवाने के लिए जा सकते है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक कई स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो चुके है, ऐसे में विशेष एहतियात बरती जा रही है ताकि स्वास्थ्य सेवाएं ठप न हो।