इश्क का रंग सफेद एक था राजा एक थी रानी जैसे कई शो कर चुकीं अभिनेत्री ईशा सिंह कलर्स चैनल के शो सिर्फ तुम में अभिनय कर रही हैं। इस शो में वह एक सहमी हुई लड़की के किरदार में हैं।
मुंबई। 'इश्क का रंग सफेद', 'एक था राजा एक थी रानी' जैसे कई शो कर चुकीं अभिनेत्री ईशा सिंह कलर्स चैनल के शो 'सिर्फ तुम' में अभिनय कर रही हैं। इस शो में वह एक सहमी हुई लड़की के किरदार में हैं। ईशा ने अपने किरदार और अपने करियर को लेकर खास बातचीत की...
डेढ़ साल बाद काम पर लौटने का अनुभव कैसा रहा?
जब हम काम कर रहे होते हैं, तब ये चीजें दिमाग में नहीं आती हैं, लेकिन जैसे ही वह शो चैनल पर शुरू हो जाता है, तब घबराहट होती है। महामारी के बाद काम पर लौटना आसान नहीं था। काम करने का पूरा तरीका बदला हुआ है। सारे प्रोटोकाल्स फॉलो करते हुए काम हो रहा है। यही न्यू नॉर्मल है।
इस मुश्किल दौर से निकलने के बाद किन चीजों को गंभीरता से नहीं लेती हैं?
जीवन बहुत छोटा है। अगले पल क्या होगा, किसी को नहीं पता है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मैंने बहुत करीबी लोगों को दुनिया से जाते हुए देखा, जिसने मुझे बहुत डरा दिया था। हर कोई कोशिश कर रहा था कि माहौल सामान्य हो, लेकिन वे चीजें हमारे कंट्रोल से बाहर थीं। पूरी जिंदगी हम कल संवारने के चक्कर में आज जीना भूल जाते हैं। मैंने यही सीखा कि जहां हो, जिनके साथ हो, उनके साथ उस पल को जियो। अपने करीबियों को गले से लगाकर रखो। अब भी हम पूरी तरह से इस महामारी से बाहर नहीं निकले हैं।
आपने कम उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। अब आप 22 साल की हैं। कहा जाता है कि आज की पीढ़ी में इनसिक्योरिटी नहीं होती है, आत्मविश्वास बहुत ज्यादा होता है। आपका क्या मानना है?
मैं अपनी बात कहूं तो मुझे लगता है कि मैं बहुत ओल्ड हूं और पुराने विचारों की हूं। अलग वक्त में पैदा हो गई हूं। मैं बिल्कुल इनसिक्योर नहीं हूं। मुझमें कान्फिडेंस है, ओवरकान्फिडेंस में मैं यकीन नहीं रखती हूं। मेरे माता-पिता ने हमेशा यही सिखाया है कि अपने दिल की सुनो। अगर मेरा दिल किसी काम को करने के लिए हां कहता है। फिर चाहे वे पर्सनल रिश्ते हों या मेरे पेशे से जुड़ी कोई बात हो, मैं अपने दिल की सुनती हूं। आज की पीढ़ी वाकई में इनसिक्योर नहीं है, उनमें आत्मविश्वास है। हालांकि मुझे लगता है कि वे दो वर्गों में बंटे हुए हैं या तो वे बहुत इनसिक्योर हैं या बिल्कुल नहीं हैं। इंटरनेट मीडिया पर दूसरों की पोस्ट देखकर भी कई बार लोग इनसिक्योर हो जाते हैं। एक बहुत ही हल्की सी लाइन है, उसके बीच अंतर करना आना चाहिए कि मैं कान्फिडेंट हूं। मैं जो हूं, वही रहूंगी। कोई दूसरा मेरी तरह नहीं बन सकता है, न मैं किसी और की तरह बन सकती हूं।
आपने कई मैच्योर किरदार कम उम्र में ही निभा लिए हैं। यह आत्मविश्वास कैसे आता है कि वह किरदार निभा लूंगी, जिसका अनुभव कभी नहीं किया है?
जिन किरदारों का व्यक्तित्व मुझसे बहुत अलग होता है, उन्हें निभाने में मुझे बहुत मजा आता है। मुझे चुनौतीपूर्ण किरदार करना पसंद हैं, जिससे सीखने का मौका भी मिले।
टीवी पर अभिनेत्रियां सशक्त किरदार में नजर आती हैं। शो सिर्फ तुम में आप एक सहमी सी लड़की के किरदार में नजर आ रही हैं?
मेरा मानना है कि हर लड़की के भीतर देवी होती है, जो वक्त आने पर बाहर आती है। मेरा किरदार इस शो में पानी और आग का मिश्रण है। वह पानी की तरह शांत है, लेकिन उसमें गहराई है। वह अपने काम से काम रखती है, लेकिन जब उसे कोई छेड़ता है तो फिर वह उसे छोड़ती भी नहीं है।
आप वास्तविक जीवन में पानी की तरह शांत हैं या आप में भी पानी और आग का मिश्रण है?
अगर सामने वाला व्यक्ति शांति से बात कर रहा है तो मैं भी बहुत शांति से जवाब देती हूं। अगर कोई आग बनने की कोशिश कर रहा है तो मैं उसमें उसे जला भी सकती हूं। सामने वाला बदतमीजी करता है तो मैं भी उसका जवाब देती हूं। गिव एंड टेक वाला हिसाब है। इज्जत दो और इज्जत पाओ। मैं आग और पानी का मिश्रण ही हूं।
क्या आप कभी किसी का काम देखकर इनसिक्योर हुई हैं। खासकर वे अभिनेत्रियां जो टीवी के साथ फिल्मों में भी काम कर रही हैं?
मैंने दो फिल्मों में काम किया है, जो अभी रिलीज नहीं हुई हैं। इनमें से एक फिल्म अनुभव सिन्हा के साथ है। हर किसी का अपना मांइडसेट होता है। मेरी प्रतियोगिता किसी और से नहीं, बल्कि खुद से है। मेरा एक मंत्र है कि बेहतर बनो, खुद की बेहतरी के लिए। मैं खुद को बेहतर किसी और को देखकर नहीं बना रही हूं। मैं जो कर रही हूं, खुद के लिए कर रही हूं। हर दिन कुछ नया सीखना है। मुझे लोग टीवी की वजह से जानते हैं। जब मेरे बारे में ये अफवाहें उड़ी थीं कि मैं अब टीवी पर काम नहीं करूंगी, इससे मैं बहुत अपसेट हुई थी। मुझे टीवी ने यहां तक पहुंचाया है। टीवी पर काम करने के लिए मैंने कभी मना नहीं किया है। मैं जीवन में हमेशा कुछ नया करते रहना चाहती हूं। मेरे दिल ने कहा कि फिल्में करनी चाहिए तो मैंने कीं, लेकिन कभी ऐसा नहीं कहा कि टीवी पर काम नहीं करना है। मैं अपनी रफ्तार से चलूंगी। मेरी किसी से कोई प्रतियोगिता नहीं है। मैं जिस दिन प्रतियोगिता के बारे में सोचूंगी, उस दिन अपने लक्ष्य से भटक जाऊंगी।