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काबुल, एएनआइ। आतंकवाद को लेकर कई मोर्चों पर घिर चुके पाकिस्तान को एक बार फिर आईना दिखाया गया है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सीधे तौर पर पाकिस्तान को ही अफगानिस्तान के हालात का जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि तालिबान की पूरी व्यवस्था यहीं से संचालित होती है। पाक अपने देश में तालिबान को सभी जरूरतें उपलब्ध कराता है, उसके लिए फंडिंग करता है। यहां तक कि तालिबान के सदस्यों की भर्ती भी पाकिस्तान में ही होती है।
राष्ट्रपति कार्यालय से जारी अशरफ गनी के बयान में कहा गया है कि अब पाक को ही तालिबान के साथ शांति वार्ता पूरी कराने के लिए आगे आना चाहिए। अफगानिस्तान में शांति के लिए अमेरिका की अब बहुत सीमित भूमिका है। मुख्य भूमिका क्षेत्रीय स्तर के देशों की है, उनमें पाकिस्तान विशेष रूप से है। तालिबान पर केवल पाकिस्तान का ही पूरा प्रभाव है। उसी ने ही तालिबान के लिए संगठित प्रणाली विकसित की हुई है। तालिबान के निर्णय करने वाली सभी क्षेत्रीय संस्थाएं पाक में ही बनी हुई हैं, जिन्हें सरकार का समर्थन रहता है।
सभी निर्णय क्वेटा शूरा, मिरमशाह शूरा और पेशावर शूरा के द्वारा लिए जाते हैं। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान को ही तालिबान पर शांति स्थापित करने के लिए दबाव बनाना चाहिए। इससे पहले भी अफगान के राष्ट्रपति ने कहा था कि पाकिस्तान को देखना है कि वह मित्रता का भाव रखता है या शत्रुता का। दोनों देशों के पास अब आपसी सम्मान, अच्छे पड़ोसी और आर्थिक सहयोग के साथ रहने का ही विकल्प है।
ईद पर युद्धविराम की अवधि हुई समाप्त
अफगानिस्तान और तालिबान के बीच कतर में शुरू हुई शांति वार्ता के बीच ईद पर दोनों ही पक्षों के द्वारा तीन दिन के युद्धविराम की अवधि समाप्त हो गई है। अब सभी की निगाह कतर पर लगी हुई है कि हिंसा को रोकने के लिए किस तरह से दोनों पक्ष आगे बढ़ते हैं।