राशन और बिस्तर के साथ दिल्ली कूच करेंगे राजस्थान के किसान

 किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कहा कि प्रदेश के किसान राशन और बिस्तर लेकर दिल्ली जाएंगे। फाइल फोटो

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कहा कि प्रदेश के किसान राशन और बिस्तर लेकर दिल्ली जाएंगे। सभी किसान शनिवार को जयपुर जिले के कोटपुतली में एकत्रित होंगे वहीं से अगले दिन जयपुर-दिल्ली राजमार्ग से कूच करेंगे। 14 दिसंबर को प्रदेश में किसान धरने-प्रदर्शन करेंगे।

 संवाददाता, जयपुर।कृषि कानून रद करने की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए राजस्थान के किसान रविवार को दिल्ली कूच करेंगे। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कहा कि प्रदेश के किसान राशन और बिस्तर लेकर दिल्ली जाएंगे। सभी किसान शनिवार को जयपुर जिले के कोटपुतली में एकत्रित होंगे, वहीं से अगले दिन जयपुर-दिल्ली राजमार्ग से कूच करेंगे। 14 दिसंबर को प्रदेश में किसान धरने-प्रदर्शन करेंगे। किसान नेता तारा सिंह सिद्धू ने कहा कि किसानों को अपने-अपने घरों से राशन और बिस्तर की व्यवस्था कर के निकलने को कहा गया, जिससे हर परिस्थिति का सामना किया जा सके। उन्होंने कहा कि जहां भी किसानों को रोका जाएगा, वहीं महापड़ाव शुरू होगा।

किसान नेता डॉ. संजय माधव ने कहा कि प्रदेश में ग्रामीण स्तर तक कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार के कदम के बारे में बताया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब तक अलग-अलग संगठनों ने दिल्ली कूच किया है, लेकिन अब सभी किसान और मजदूर संगठन एकजुट होकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के कुछ किसान संगठन शाहजहांपुर में धरना दे रहे हैं। रामपाल जाट के नेतृत्व में पिछले दिनों किसान दिल्ली गए थे। अलवर और दिल्ली से भी किसान अलग-अलग मार्गों से होते हुए दिल्ली सीमा पर पहुंचे हैं। किसान समन्वय समिति ने जयपुर-दिल्ली राजमार्ग जाम करने को लेकर भी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। वहीं, किसान आंदोलन को देखते हुए राजस्थान पुलिस सक्रिय हो गई। पुलिस ने राजमार्ग पर सुरक्षा कड़ी की है।

इधर, सीएम अशोक गहलोत ने बुधवार को ट्वीट में लिखा था कि ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि 10 केंद्रीय मंत्रियों व भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को किसान आंदोलन के खिलाफ उतरना पड़ा, क्योंकि मोदी सरकार ने किसानों और विपक्ष समेत किसी स्टेक होल्डर से संवाद ही नहीं किया। अगर संवाद किया होता तो ऐसी जरूरत नहीं पड़ती। पहले भी देश की जनता ने प्रधानमंत्रियों पर यकीन किया है। उनके बनाए हुए कानूनों का स्वागत किया है। अगर आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की बात सुनकर उनसे संवाद करते तो मामला इतना नहीं बढ़ता।