लोकसभा और विधानसभा चुनावों में खर्च की सीमा पर चुनाव आयोग ने दलों से मांगा सुझाव

 चुनाव आयोग ने मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय पार्टियों को लिखा पत्र


कोरोना वायरस महामारी के बीच चुनाव प्रचार में आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अक्टूबर में चुनाव आयोग की सिफारिशों के आधार पर मौजूदा व्यय सीमा को 10 फीसद बढ़ा दिया था। यह वृद्धि बिहार विधानसभा चुनाव और विभिन्न उप चुनावों में लागू थी।

नई दिल्ली, प्रेट्र। चुनाव आयोग ने मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय पार्टियों से लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा पर सुझाव मांगा है। आयोग ने विभिन्न पार्टियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे भविष्य में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के लिए चुनाव खर्च की सीमा के बारे में अपने विचार और सुझाव भेजें। आयोग ने विभिन्न दलों से कहा कि वे व्यय सीमा में संशोधन के लिए अक्टूबर में गठित समिति के नोडल अधिकारी को अपने विचार भेजें। उम्मीदवारों के लिए अपने चुनाव अभियान में खर्च करने की सीमा होती है, लेकिन राजनीतिक दलों पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं होती है। समिति को मतदाताओं की संख्या में वृद्धि और खर्च मुद्रास्फीति सूचकांक बढ़ने के मद्देनजर लोकसभा और विधानसभा चुनावों के उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा में संशोधन पर विचार करने को कहा गया है।

उम्मीदवारों के लिए व्यय की सीमा आखिरी बार 2014 में संशोधित की गई थी। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए यह सीमा 2018 में बढ़ाई गई थी। चुनाव आयोग ने समिति के गठन की घोषणा करते हुए अक्टूबर में कहा था कि पिछले छह वर्षो में खर्च की सीमा में बढ़ोतरी नहीं की गई, जबकि मतदाताओं की संख्या 83.4 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2019 में 91 करोड़ हो गई और अब यह 92.1 करोड़ है। इस दौरान खर्च मुद्रास्फीति सूचकांक 220 से बढ़कर 2019 में 280 हो गया और अब यह 301 है। समिति के अगले साल अपनी रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है।कोरोना वायरस महामारी के बीच चुनाव प्रचार में आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अक्टूबर में चुनाव आयोग की सिफारिशों के आधार पर मौजूदा व्यय सीमा को 10 फीसद बढ़ा दिया था। यह वृद्धि बिहार विधानसभा चुनाव और विभिन्न उप चुनावों में लागू थी।

डिजिटल मतदाता पहचान पत्र पर विचार कर रहा आयोग

चुनाव आयोग मतदाताओं को डिजिटल मतदाता फोटो पहचान पत्र मुहैया कराने पर विचार कर रहा है। इसका मकसद पहचान पत्र की आसान पहुंच सुनिश्चित करना है। हालांकि, इस बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने क्षेत्र के अधिकारियों, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और लोगों से सुझाव मांगा है। यह एक ऐसा विचार है, जिस पर हम काम कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या डिजिटल पहचान पत्र का यह मतलब होगा कि कोई मतदाता एप के जरिये इसे अपने मोबाइल फोन में रख सकेगा, अधिकारी ने कहा कि एक बार फैसला हो जाने के बाद इसके विवरण सामने आ जाएंगे।