पुराने संसद भवन की ऐतिहासिक प्रासंगिकता, जहां भगत सिंह ने बम फेंक कर ब्रिटिश सरकार तक पहुंचाई थी अपनी आवाज

 कभी धुंधली नहीं हो सकती पुराने संसद भवन की ऐतिहासिक प्रासंगिकता


लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष काश्यप ने बताया कि यह वही भवन है जहां क्रांतिकारी भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंक कर ब्रिटिश सरकार तक अपनी आवाज पहुंचानी चाही थी जहां संविधान को अपना स्वरूप मिला जहां ब्रिटिश सरकार ने सत्ता सौंपी।

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत की सर्वोच्च पंचायत यानी संसद की गोलाकार आकृति वाला ऐतिहासिक भवन भले ही अब इसके एक नए भवन परिसर के कारण सत्ता की चमक-धमक से दूर हो जाएगा किंतु इसकी ऐतिहासिक प्रासंगिकता कभी धुंधली नहीं पड़ सकती क्योंकि यही वह स्थान है जहां से देश ने 'नियति के साथ साक्षात्कार' किया था।

लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप ने बताया कि यह वही भवन है जहां क्रांतिकारी भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंक कर ब्रिटिश सरकार तक अपनी आवाज पहुंचानी चाही थी, जहां संविधान को अपना स्वरूप मिला, जहां ब्रिटिश सरकार ने सत्ता सौंपी। यह वही परिसर है जहां पहली बार सांसद के रूप में कदम रखने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माथा टेका था। इन बातों को, घटनाओं को भुलाया नहीं जा सकता है।'

लोकसभा के एक अन्य पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य का कहना है कि भले ही भविष्य में कदम रखने के लिए नए भवन की आवश्यकता है लेकिन हमें वर्तमान भवन के ऐतिहासिक महत्व और विरासत को बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आसपास के भवनों से वर्तमान संसद भवन को ढंकने का कोई भी प्रयास 'इतिहास के साथ हिंसा' होगी।

काश्यप ने विश्वास जताया कि इसी भवन में संविधान सभा की बैठकें हुईं, पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने 14-15 अगस्त, 1947 की आधी रात को देश की आजादी के अवसर पर अंग्रेजी में अपना भाषण 'थ्राइस्ट विद डेस्टिनी' (नियति के साथ साक्षात्कार) दिया था।

लुटियंस ने बनाई थी डिजाइन

ब्रिटिश कालीन इस इमारत की डिजाइन और निर्माण कार्य की जिम्मेदारी एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बाकर को दी गयी थी। इन्हीं लुटियंस के नाम पर संसद भवन और आसपास के क्षेत्र को लुटियंस जोन कहा जाता है। वर्तमान संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी 1921 को रखी गई और छह साल चले निर्माण कार्य में उस समय 83 लाख रुपये का खर्च आया था। भवन का उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने किया था।

560 फुट है संसद भवन का व्यास

वर्तमान संसद भवन गोलाकार है और इसका व्यास 560 फुट है, पहली मंजिल पर खुला हुआ बरामदा है जहां 27 फुट ऊंचे 144 लाल बलुआ पत्थर के स्तंभ लगे हुए हैं। इन स्तंभों ने संसद भवन को एक अलग पहचान दी है।