दवा और टीके से कितने दूर, कितने पास; पेश है एक रिपोर्ट...

नई दिल्ली। कोविड-19 से पूरी दुनिया जूझ रही है और उम्मीद की नजरों से उन लोगों की ओर देख रही है जो इसकी दवा और टीके को खोजने में जुटे हैं। दुनिया के तमाम देशों के वैज्ञानिक कोरोना वायरस से निपटने के लिए इसके टीके और दवा को विकसित करने में जुटे हैं। विभिन्न देशों की कोशिशें कहां तक पहुंची हैं, क्या है प्रक्रिया और किन दवाओं के संयोजन से वे आगे बढ़ रहे हैं। इसी पर पेश है एक रिपोर्ट:


महीनों लगेंगे : कोरोना वायरस का टीका ईजाद होने में अभी कई महीने लगेंगे। एक इंटरव्यू में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि यदि सभी ने अच्छा काम किया तो हम संभवत: अगले 12-18 महीने में इसका टीका विकसित कर लेंगे लेकिन इसके बाद पर्याप्त दवाओं की उपलब्धता का सवाल होगा। इसके लिए संभवत: 18-24 महीने लगेंगे।


टीके के लिए प्रगति : अमेरिका सिएटल में पहले चरण का क्लिनिकल परीक्षण शुरू हो गया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज द्वारा यह वित्त पोषित है। यह खुला परीक्षण 18 से 55 साल की आयु के स्वस्थ वयस्क स्वयंसेवकों पर छह सप्ताह में किया जाएगा।


चीन: चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से संबद्ध सैन्य चिकित्सा विज्ञान अकादमी के शोधकर्ताओं ने टीके के परीक्षण की अनुमति मिली है। यह मार्च से दिसंबर के मध्य 108 लोगों की भर्ती करेगा।



चरणबद्ध प्रक्रिया : ड्रग और वैक्सीन विकास विस्तृत प्रक्रिया है। एक दवा या टीके पर वर्षों लग सकते हैं। एक बार जब नई दवा का जानवरों पर परीक्षण हो चुका होता है तो इसके बाद क्लिनिकल परीक्षण शुरू होता है। तीन चरणों में, इसकी सुरक्षा और क्षमता को प्रोटोकॉल के अनुसार परखा जाता है। चौथे चरण में संग्रहण और बाजार पूर्व आंकड़ों का विश्लेषण शामिल है। कोरोना वायरस एक ऐसे परिवार का सदस्य है जिस पर सार्स और मर्स के सामने आने के बाद पहले से ही काम चल रहा है। डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 के खिलाफ एकजुटता दर्शाते हुए सबसे अच्छे इलाज की तलाश के लिए बहु-हाथ, बहु-देश क्लिनिकल परीक्षण की घोषणा की है।



ड्रग रेमेडेसिवीर के परीक्षण को माना जा रहा है अहम : यह एंटीवायरल ड्रग रेमेडेसिवीर का परीक्षण करेगा। यह एचआइवी दवाओं लोपिनवीर और रीटोनेवीर, लोपिनवीर और रीटोनेवीर प्लस इंटरफेरॉन बीटा, और एंटी मलेरिया दवा क्लोरोक्वीन का संयोजन है। अब तक अर्जेंटीना, बहरीन, कनाडा, फ्रांस, ईरान, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्विट्जरलैंड और थाईलैंड ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं।


रेमेडेसिवीर: डॉ. स्वामीनाथन के अनुसार, अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के तत्वावधान में सबसे भरोसेमेंट परीक्षण है। नेब्रास्का मेडिकल सेंटर विश्वविद्यालय में कोविड-19 के साथ अस्पताल में भर्ती वयस्क रोगियों पर परीक्षण शुरू हो गए हैं। रेमेडेसिवीर, जिसे गिलीड साइंसेज इंक द्वारा विकसित किया गया था, को पहले इबोला वायरस से पीड़ित लोगों में परीक्षण किया गया।


लोपिनवीर और रीटोनेवीर: भारत को इन दूसरी पंक्ति की एचआइवी दवाओं के संयोजन के साथ अपना अनुभव है। एंटीवायरल के बिना ठीक हुए 12 लोग (एक की बाद में मृत्यु हो गई, यह आधिकारिक तौर पर कोविड-19 मौत के रूप में नहीं गिना जा रहा है)। दुनिया भर में परीक्षण चल रहे हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित पेपर में चीनी शोधकर्ताओं ने गंभीर रूप से बीमार रोगियों में से 22 फीसद की मृत्यु की सूचना दी, जिन्हें लोपिनवीर-रीटोनेवीर संयोजन दिया गया था। हालांकि उपचार से कोई लाभ नहीं देखा गया।


क्लोरोक्वीन: चीन के सन येत्सेन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता क्लोरोक्वीन के साथ लोपिनवीर-रीटोनेवीर संयोजन कर शोध में जुटे हैं। पूर्व के अध्ययनों से पता चला है कि क्लोरोक्वीन कई तरह से कोरोना वायरस प्रतिकृति को बाधित कर सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, पिछली बार सार्स-सीओवी-2 (नोवल कोरोना वायरस) के रोगियों के क्लोरोक्वीन द्वारा किए गए इलाज में निमोनिया की नकारात्मक दर अधिक रही है।



फैविपिरावी: यह इन्फ्लूएंजा के नए उपभेदों के इलाज के लिए जापान में इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। चीन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी अधिकारियों के हवाले से यह दवा कोरोना वायरस के रोगियों में प्रभावी रही है। नई स्थिति: संयोग से दवा विकसित करने के लिए भी प्रयास जारी हैं। सैन फ्रांसिस्को के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में क्वांटीटेटिव बायोसाइंसेज इंस्टीट्यूट में शोधकर्ता कोशिका के अंदर प्रोटीन की पहचान कर रहे हैं, जो वायरस को अपनी प्रतिकृति मशीनरी को रोल करने के लिए उपयोग करता है। यह पता लगाया जा रहा है कि क्या इनमें से किसी भी प्रोटीन को लक्षित करने से वायरस का प्रसार रुक जाएगा।



भारत का अनुभव : पिछले सप्ताह जयपुर के एसएमएस अस्पताल के प्रशासन ने लोपिनवीर और रीटोनेवीर के संयोजन को वेंटीलेटर पर रखे 70 और 69 साल के इटली के दंपती को दिया। प्रोटोकॉल के मुताबिक दोनों का दो बार नकारात्मक परीक्षण आने पर छुट्टी दे दी गई। एक शख्स की शुक्रवार को मौत हो गई। दूसरे अस्पताल में अन्य बीमारियों का इलाज कराने के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। सरकार ने कोविड-19 के लिए अपने क्लिनिकल प्रबंधन दिशानिर्देशों को संशोधित किया है। इसमें लोपिनवीर और रीटोनेवीर का उपयोग केवल उचित रूप से सूचित सहमति के साथ गंभीर मामलों के लिए केस के आधार पर सहमति के तहत इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इस संयोजन का उपयोग उन रोगियों में किया जाना है, जिन्हें हाइपोक्सिया, हाइपोटेंशन, एक या अधिक अंगों का काम करना बंद कर देना और कुछ निश्चित उच्च खतरे वाले समूहों के लिए किया जाएगा।