मां की शिकायत पर स्कूल में हुई औचक चेकिंग, छात्रों से मिली भारी मात्रा में E Cigarettes

दिल्ली PDT केंद्र सरकार ने दो दिन पहले ही E Cigarettes पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इसकी बिक्री पर एक लाख रुपये जुर्माना या एक साल सजा अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है। इसके बाद देश की राजधानी दिल्ली से ई सिगरेट को लेकर एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। दिल्ली के एक नामी प्राइवेट स्कूल में सीनियर छात्रों के पास से 150 ई सिगरेट बरामद हुई है। स्कूल ने छात्रों से बरामद ई सिगरेट जब्त कर ली है और उनके परिजन को सूचना दे दी गई है। आइये जानतें हैं क्या है ई सिगरेट से नुकसान और क्यों सरकार ने लगाया प्रतिबंध?


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जिस प्राइवेट स्कूल में छात्रों के पास से ई सिगरेट बरामद हुई है, उसने ये कार्रवाई एक छात्र की मां की शिकायत पर की थी। दरअसल, मां को संदेह था कि उसका बेटा और उसके साथ के कई और छात्र ई सिगरेट का इस्तेमाल करते हैं। मां ने स्कूल प्रिंसिपल से इस संबंध में बात की। इसके बाद प्रिसिंपल ने 10वीं से 12वीं कक्षा में छात्रों की औचक चेकिंग कराई। सरप्राइज चेकिंग में छात्रों के पास से 150 ई सिगरेट बरामद हुई तो स्कूल प्रबंधन के भी होश उड़ गए। स्कूल प्रबंधन ने सभी ई सिगरेट को जब्त कर, छात्रों के परिजनों को सूचना दे दी है।


अन्य स्कूलों की भी उड़ी नींद


दिल्ली के मयूर विहार स्थित एक पब्लिक स्कूल में छात्रों से 150 ई सिगरेट बरामद होने के बाद अन्य स्कूलों की भी नींद उड़ गई है। राजधानी दिल्ली ही नहीं अन्य शहरों के स्कूल भी छात्रों में बढ़ते सिगरेट और नशे की लत को लेकर चिंतित हैं। कई और स्कूल भी इस तरह की सरप्राइज चेकिंग कराने की योजना बना रहे हैं। साथ ही छात्रों को नशे के खिलाफ जागरूक करने की योजना तैयार करे रहे हैं। छात्रों में ई सिगरेट का प्रचलन बढ़ने की सबसे आम वजह ये है कि इसमें कई तरह का फ्लेवर प्रयोग किया जाता है, ऐसे में इसके प्रयोग से बदबू नहीं आती है और घर या स्कूल में उनके पकड़े जाने की संभावना बहुत कम होती है। ई-सिगरेट को बैग या पॉकेट आदि में रखना आसान है, मतलब इसे आसानी से छिपाया जा सकता है।



क्या है ई सिगरेट?


ई-सिगरेट एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक इन्हेलर है, जिसमें निकोटीन और अन्य केमिकलयुक्त लिक्विड भरा जाता है। ये इन्हेलर बैट्री की ऊर्जा से इस लिक्विड को भाप में बदल देता है जिससे पीने वाले को सिगरेट पीने जैसा एहसास होता है। लेकिन ई-सिगरेट में जिस लिक्विड को भरा जाता है वो कई बार निकोटिन होता है और कई बार उससे भी ज्यादा खतरनाक केमिकल। इसलिए ई-सिगरेट को सेहत के लिहाज से बिल्कुल सुरक्षित नहीं माना जा सकता है।


इस तरह आई ई-सिगरेट


वर्ष 2003 में चीन में ई-सिगरेट का अविष्कार हुआ। यह बैटरी से चलने वाला निकोटिन डिलीवरी का यंत्र है। इसमें द्रव्य पदार्थ, जिसे भाप कहते हैं, को गर्म करने के बाद मुंह से खींचा जाता है। इसे यह सोचकर बनाया गया था कि बिना टॉर या कार्बन के फेफड़े तक कम मात्रा में निकोटिन जाएगा। व्यावसायिक फायदे के लिए ऐसे तरीके अपनाए गए, जिससे अधिक मात्रा में निकोटिन फेफड़े में जाने लगा।


क्या ई-सिगरेट सुरक्षित हैं?


ज्यादातर ई-सिगरेट्स में जो केमिकल भरा जाता है वो लिक्विड निकोटिन होता है। निकोटिन नशीला पदार्थ है इसलिए पीने वाले को इसकी लत लग जाती है। थोड़े दिन के ही इस्तेमाल के बाद अगर पीने वाला इसे पीना बंद कर दे, तो उसे बेचैनी और उलझन की समस्या होने लगती है। निकोटिन दिल और सांस के मरीजों के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं माना जा सकता है।



हो जाएंगे पॉपकॉन लंग्स से पीड़ित


महानगरों में ई-सिगरेट एवं हुक्का बार का चलन तेजी से बढ़ा है। हुक्का बार में फ्लेवर्ड ई-लिक्विड होता है जबकि ई-सिगरेट में केमिकल वेपर के रूप में होता है। दोनों में हानिकारक डाई एसिटाइल केमिकल (बटर जैसा जो पॉपकॉन में मिलाते थे, अब प्रतिबंधित) होता है। इसके सेवन से फेफड़े में पॉपकॉन जैसा उभरने पर पॉपकॉन लंग्स कहते हैं। इस बीमारी को ब्रांक्योलाइटिस आब्लिट्रेंन कहा जाता है। इसमें फेफड़ों की छोटी श्वांस नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जो आगे चलकर आइएलडी में परिवर्तित हो जाती है। इसकी चपेट में आकर युवा एवं महिलाएं तेजी से फेफड़े की बीमारी का शिकार हो रहे हैं।


ई-सिगरेट के खतरे



  • युवाओं में ई-सिगरेट तेजी से पॉपुलर हो रहा है

  • ई-सिगरेट को बिल्कुल सुरक्षित नहीं माना जा सकता है

  • ई-सिगरेट में सामान्य सिगरेट की तरह तंबाकू का इस्तेमाल नहीं होता है

  • निकोटिन नशीला पदार्थ है इसलिए पीने वाले को इसकी लत लग जाती है


ई-सिगरेट की क्वाइल में हानिकारक मेटल


 


ई-सिगरेट के वेपर को गर्म करने के लिए क्वाइल का इस्तेमाल होता है। क्वाइल में निकोटिन, फार्मालडिहाइड, फेनाले, टिन, निकिल, कॉपर, लेड, क्रोमियम, आर्सेनिक एवं डाई एसेटाइल मेटल हैं।